Ridima Hotwani

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लेखनी कहानी -03-Jan-2022

लेखनी काव्य कविता प्रतियोगिता

विषय:: ओपन
शीर्षक::सागर दिवाकर संधि।


शांत, मौन, सागर थोड़ा सा गंभीर था,
शून्य  क्यूं? आज उसके इतना करीब था,

क्या लहरियां सागर से रूठीं थी,
जो सागर-उर में सम्मिलन को नामुदित थीं,

सागर के तट पर ये कैसा क़फ़न सुसज्जित था,
नभ के आफताब को सागर का ये प्रारूप,कतई नागवार गुजरा,

तुरंत अपनी,
तीक्ष्ण रश्मिरथी पर सुसज्जित हो
नीरनिधि वयसंधि में वलय को आतुर अपार था,

पल भर में,
  आकुल आफताब, पयोधि शीर्ष पर,
अपने ज्योर्तिपुंज संग विराजमान था,

प्रकाशपुंजित रश्मियां बिखेर रहीं अपनी कला-सोपान थीं,
कला-सोपान से प्रस्फुट्टित लहरें अब, सागर-संग
अठखेलियों में बेशुमारता से विद्यमान थीं।।

रिदिमा होतवानी 🙏


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4 Comments

Swati chourasia

04-Jan-2022 06:57 AM

Wahh bohot hi khubsurat rachna 👌👌

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शानदार...!

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Simran Bhagat

03-Jan-2022 10:05 PM

Nyc

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